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फागुन का त्यौहार / रमेश रंजक
Kavita Kosh से
बरसे रंग-फुहार छनाछन होरी है ।
फागुन का त्योहार छनाछन होरी है ।।
कोऊ मलै गुलाल कपोलन
कोऊ लै पिचकारी
कोऊ ढोल मजरीन के संग
नाचे दे दे तारी
बहै रंगीली ब्यार छनाछन होरी है ।
फागुन का त्योहार छनाछन होरी है ।।
बालक-बूढ़े, नर-नारिन के
अंग-अंग नसा समायौ
महल कुटी को भेद मिटावन
वारौ मौसम आयौ
हर आँगन दरबार छनाछन होरी है ।
फागुन का त्योहार छनाछन होरी है ।।
दिसा-दिसा पगली-सी झूमै
घड़ी-घड़ी मस्तानी
दीप सिखा-सी काया झूमै
मन झूमै लासानी
झूमै सभ संसार छनाछन होरी है ।
फागुन का त्योहार छनाछन होरी है ।।