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फुलमनी / नीरज नीर
Kavita Kosh से
रांची का रेलवे स्टेशन।
फुलमनी ने देखा है
पहली बार कुछ इतना बड़ा ।
मिटटी के घरों और
मिटटी के गिरिजे वाले गाँव में
इतना बड़ा है केवल जंगल।
पेड़ों के जंगल से
फुलमनी आ गयी
आदमियों के जंगल में,
जहाँ सभ्य समाज का आदमी
घूरता हैं
हिंस्र नज़रों से
सस्ते पोलिस्टर के वस्त्रों को
बेध देने की नियत से ...
फुलमनी बेच दी गयी है
दलाल के हाथों,
जिसने दिया है झांसा
काम का,
साथ ही देखा है
उसके गुदाज बदन को
फुलमनी दिल्ली में मालिक के यहाँ
करेगी काम,
मालिक तुष्ट करेगा काम
काम से भरेगा
उसका पेट
वह वापस आएगी जंगलों में
जन्म देगी
बिना बाप के नाम वाले बच्चे को...