फुलमुंडा बुढड़ि / महेन्द्र ध्यानी विद्यालंकार
फुलमुंडा बुढड़ि किलै जग्वल़णी छै तू डंड्यल़ी।
ब्याखुनी धार मा दिखेगे रामनगर की मोटर गाडी
तेरि जिकुड़ि मा आई उलार देखिकि स्य रंगीलि साड़ी
पर नी छ वा तेरी ब्वारी बल किलै जग्वल़णी छै तू डंड्याल़ी।
जु गैनि भैर परदेश शैर तौं तै लगद पाड़ौं म डैर
कैका बान्यूँ कनि हैरि पुँगड़ि तू कैका बान्यूँ खाणी छै खैर
बोलि गै छा ब्याल़ी बल किलै जग्वल़णी छै तू डंड्याल़ी।
कबि त आला अपणा घौर तेरि जिकुड़ि मा छ इनि आस
कत्ति जग्वाल़ भोल़ जमण स्यूँ कूड़ि पुंगड़यूँ दुबलु घास
मार चाइ किटकताल़ी बल किलै जग्वल़णी छै तू डंड्याल़ी।
भोल़ परस्यों जब मरि जौंलु द्वी अँसधरि वो बि ब्वगाला
जब पड़लि पितरौं की धाद कबि त ईं डंड्याल़ि मा आला
सूण रै ध्यानी लाटा बल इलै जग्वल़णु छौं मि डंड्याल़ी।
फुलमुंडा बुढड़ि बल किलै जग्वल़णी छै तू डंड्याल़ी।