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फूलन सों बाल की, बनाई गुही बेनी लाल / सेनापति
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फूलन सों बाल की, बनाई गुही बेनी लाल,
भाल दीनी बेंदी, मृगमद की असित है।
अंग-अंग भूषन, बनाइ ब्रभूषण जू,
बीरी निज करते, खवाई अति हित है॥
ह्वै कै रस बस जब, दीबे कौं महावर के,
'सेनापति स्याम गह्यो, चरन ललित है।
चूमि हाथ नाह के, लगाइ रही ऑंखिन सौं,
कही प्रानपति! यह अति अनुचित है॥