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फूल-से दिन / केदारनाथ अग्रवाल
Kavita Kosh से
गेंदे के फूल-से
फूले हैं दिन,
आओ तुम आओ तो
गुलाब भी खिलें,
बाहों से बाहों में एक हो मिलें,
मिलने के फूल-से
फूले हैं दिन ।
('पंख और पतवार' नामक कविता-संग्रह से)