भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

फूल की आत्मा / कानेको मिसुजु / तोमोको किकुची

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

फूलों के झड़ जाने के बाद,
हर फूल की आत्मा फिर से जन्म लेती है
भगवान बुद्ध के बग़ीचे में ।

स्नेही फूल को जब भी सूर्य बुलाता,
वह सहसा खिलकर मुस्कुराता,
तितलियों को मीठा मकरन्द देता,
इनसानों को अपनी भरपूर सुगन्ध ।

हवा जब भी बुलाती —
इधर आओ ।
सहृदय फूल उसके पीछे-पीछे चल पड़ता ।

इतना ही नहीं,
सूखा फूल भी
बच्चों के काम आ जाता —
खेल-कटोरी में एक व्यंजन बन जाता ।
 
मूल जापानी से अनुवाद : तोमोको किकुची