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फूल खुश्बू चांद नहीं होना मुझे / कमलेश्वर साहू
Kavita Kosh से
फूल के बारे में पूछी
तो कह दिया
तुम ही तो हो फूल
खुश्बू के बारे में पूछी
तो कह दिया
तुम्हारे बदन से जो आती है
चांद के बारे में पूछी
तो कह दिया
तुम्हारा चेहरा
खुश नहीं हुई
उदास हो गई वह
सुनकर अपनी तारीफ-
अगर फूल हूं
तो तोड़ ले जाएगा कोई मुझे
खुश्बू हूं अगर
तो बिखर जाऊंगी
यदि हूं चांद
तो रहना पड़ेगा
आजीवन तुमसे दूर
रोने लगी
लिपटकर मुझसे
कहने लगी
फूल खुश्बू चांद नहीं होना मुझे
ये सब होने से बेहतर है
कुछ और होना मंजूर
तुम्हारे पास
बहुत पास होने के लिये
आजीवन !