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फेरों-कन्यादान का गीत / 5 / राजस्थानी
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राजस्थानी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
फेरों के बाद गीत (कोयलडी)
अे तो आंबाजी पाक्या आंबली,
जी ओ पाकी आंबलिया री डाल कोयल बाई सिध चाल्या।
जीओ म्हे थांन पूछां म्हारी कंवरबाई,
जीओ इतरो दादाजी रो हेत छोडर बाई सिध चाल्या।
जीओ छोड़ी बाबाजी री आंगली,
जीओ छोड्यो मायड़ रो हेत बनड़ी बाई सिध चाल्या।
जीओ आयो सगारो सुवटो,
जीओ लेग्यो टोली मासु टाल कोयलबाई सिध चाल्या।
जीओ छोड़ी काकाजी री आंगली,
जीओ छोड़ी काकीजी प्रीत कोयलबाई सिध चाल्या।
जीओ छोड़ी मामाजी री आंगली,
जीओ छोड़ी मामीजी री प्रीत कोयलबाई सिध चाल्या।
जीओ आयो सगारो सुवटो,
जीओ लेग्यो टोली मासु टाल कोयलबाई सिध चाल्या।