भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

फेरों-कन्यादान का गीत / 7 / राजस्थानी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कन्यादान

घडी दोय मांडा हेट आवो दादाजी, आवो बाबाजी आज धरम की बेल्याजी।
धरम तुम्हारो जी, भाग हमारो धियड परणायर जस लेवोजी,
आज धरम की बेल्याजी।
घडी दोय मांडा हेट आवो नानाजी, आवो मामाजी आज धरम की बेल्याजी।
धरम तुम्हारो जी भाग हमारो भाणजी परणायर जस लेवोजी।