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फोड़े गए नसीब का इज़हार कीजिए / रमेश रंजक

फोड़े गए नसीब का इज़हार कीजिए ।
आवाज़ असरदार, वज़नदार कीजिए ।।

साबित करेंगे तुमको वो गद्दार कौम का ।
झूठे को और झूठ पे लाचार कीजिए ।।

लड़ते हुए से पूछिए लड़ने के तरीके —
दुश्मन के वार रोकिए और वार कीजिए ।।

दुहरी मदद से तोड़िए चट्टान राह की ।
बढ़ने के लिए रास्ता तैयार कीजिए ।।

काँपेंगे तेरी बात से उनके सिफ़ारिशी ।
आँखॊं को एक बार तो अँगार कीजिए ।।

होते ही वो इकहरे, अमाँ ! टूट जाएँगे ।
फिर बोलिए कि ज़ुल्म को स्वीकार कीजिए ।।