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बंजारे बादल / सुदर्शन वशिष्ठ
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बँजारे हैं पहाड़ के बादल
पहनाते हैं पर्वतों पेड़-पौधों को बंगें
एकदम ढाल लेते हैं
चोटी-ढलान खेत-खलिहान
के आकार की बंगें
बंगें, जो निशानियाँ हैं सौभाग्य की
निशानियाँ हैं सुहाग की
बादल की ये बंगें
टूटें न कभी
कोई अपशगुन न घटे
कोई अभागन न बने।