भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बंसत / नीरज दइया

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जीवन में हमारे
आता है प्रेम बसंत की तरह
और प्रेम ही लाता है- बसंत।
वर्ष में कुछ खास दिन होते हैं-
जब होता है प्रेम।

उदासी को दूर करता
प्रेम उदित होता है
सूर्य की भांति
और जगमगाता है जीवन।

करते नहीं प्रतीक्षा
फिर भी लौट-लौट आता है
जीवन में पुन: पुन: प्रेम
तभी लौटता है
बार-बार बसंत!
हर बार बसंत!!