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बकरियों ने देखा जब बुरूँस वन वसन्त में / वीरेन डंगवाल

लाल-झर-झर-लाल-झर-झर-लाल
हरा बस किंचित कहीं ही ज़रा-ज़रा
बहुत दूरी पर उकेरे वे शिखर-डांडे श्वेत-श्याम
ऐसा हाल !
अद्भुत
लाल !
बकरियों की निश्चल आँखों में
ख़ुमार बन कर छा गया
आ गया
मौसम सुहाना आ गया