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बगत / सांवर दइया
Kavita Kosh से
ऐकर तो
थारी मौत रा समंचार
लाग्या घणा ई दोरा
पण होळै-होळै
सो कीं बिसराइजग्यो
ज्यूं-ज्यूं चढियां गया
बगत रा धोरा !