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बचपन के एक दोस्त के लिए-1 / राजा खुगशाल

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बचपन में
हमने एक पत्थर लुढ़काया था पहाड़ से
वह पत्थर आज भी लुढ़क रहा है
मेरी स्मृति में

बचपन में
मेरी किताब का एक पन्ना
उड़कर दूर चला गया था
करौन्दे के झुरमुट में
वह पन्ना आज भी फरफरा रहा है
मेरे ख़यालों में