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बचपन हर ग़म से बेगाना होता है / रविन्द्र जैन
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बचपन हर ग़म से बेगाना होता है
बचपन हर ग़म ...
कोई फ़िक़्र न चिन्ता मस्ती का आलम
जीवन खेल सा लगता है
सुख मिलते हैं राहों में फिर के
घर तो जेल सा लगता है
हो इसी उमर में ख़ुशियों का ख़ज़ाना होता है
बचपन हर ग़म ...
हम ढूँढते हैं जीवन भर वो ख़ुशियाँ
बचपन में जो पाते हैं
वो हँसते हुए दिन गाती वो रातें
लौट कर फिर नहीं आते हैं
हो यादों के साए में वक़्त बिताना होता है
बचपन हर ग़म ...