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बचपन - 14 / हरबिन्दर सिंह गिल
Kavita Kosh से
कहते हैं, बच्चा अपने साथ
अपने हाथ की रेखाएं लाता है
अपना भाग्य लाता है।
जैसे हाथों में जाते हैं, ये हाथ
वैसे ही खिंचती चली जाती है
तस्वीर कल के भविष्य की।
ये हाथ, जो बचपन को पालते हैं
समाज और मानवता के लिये
दाग या तिलक कुछ भी बन सकते हैं।
परन्तु इतना अवश्य है
बचपन शब्द अपने आप में ही
बहुत खरा सत्य है।
वह हाथ की लकीरों को भी
अपनी इच्छानुसार बदल सकता है
जरूरत है, पसीना बहाने की
देखोगे जीवन महक उठेगा
न कह सकेगा
पसीने से बदबू आती है
यह तो जीवन की महक का स्त्रोत है।