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बचाकर सबकी नज़रों से इसे पर्दे में रहने दो / चित्रांश खरे
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बचाकर सबकी नज़रों से इसे पर्दे में रहने दो
तुम अपने हुस्न की दौलत मेरे हिस्से में रहने दो
मुहब्बत की क़सम देकर मुझे तब्दील मत करना,
मैं जैसा हूँ मुझे वैसा मेरे लहजे में रहने दो
महल उसके लिए हैं जो कदम चूमे ज़माने के,
अगर खुद्दार है तो फिर उसे कच्चे में रहने दो
बहन के साथ होने का मुझे अहसास रहता है,
कलाई को मेरी ता-उम्र इस धागे में रहने दो
मेरा ही ज़हन दुनिया के सफ़र में खींच लाता है,
मगर ये रूह कहती है मुझे काबे में रहने दो
बड़े शहरों में बच्चों के बिगड़ने की रिवायत है,
अगर्र ये सच है तो बेटी मेरी कासवे में रहने दो