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बच्चा के शपतग्रहण / मनीष कुमार गुंज
Kavita Kosh से
यहाँ नय कोनोॅ जादू-टोना, नय छै नाग-सपेरा हो
फुलबारी के हम्में जीरी बनबै बड़का जेरा हो।
कोय बनबै इंजिनियर, डाक्टर,
कोय बनबै बीडीओ-सीओ
कोय बनबैै मास्टर-हेडमास्टर
कोय बनबैै बीओ-डीओ
कोय ते बनबैै बड़ोॅ सिपाही लानबै नया सबेरा हो
फुलबारी के हम्में जीरी बनबै बड़का जेरा हो।
मीता! कोय किसानी करबै,
कोय सीमा पर फरियैबै
कोय एक्टर में नाम कमैबै,
कोय ते गीत-गजल गैबै।
कोय सच्चा उपदेश बाँटबै, सुबह-शाम के बेरा हो
फुलबारी के सब टा जीरी बनबै हँसमुख जेरा हो।
अभी फूल रंग खिच्चा बूतरू,
सपना रोज सजाबै छी
खाय-पीयै मेॅ कुनमुन-कुनमुन,
नाचै घरी लजाबै छी
बीस साल मेॅ बीहा करबै नय लागतै कोय फेरा हो।
फुलबारी के हम्में जीरी बनबै बड़का जेरा हो।