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बच्चे-2 / देवयानी
Kavita Kosh से
उसने अपनी उँगलियों के पोरों को
डुबोया हरे रंग मे
और
खींच दी हैं लकीरें
हृदय पर
उसने गाढ़े नीले से
रंग दिया है फलक को
सुर्ख लाल रंग को
बिखेर दिया है उसने
घर के आँगन मे
पीले फूलों से ढक दिया है उसने
आस पास की वनस्पतियों को
उसे हर बार चाहिए
नया सफैद कागज
जिसे हर बार
सराबोर कर देना चाह्ता है वह रंगों से
बच्चा रंगरेज़