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बटरफ्लाई इफेक्ट / विशाखा मुलमुले
Kavita Kosh से
एक तितली के पँख की फड़फड़
बदल सकती है मौसम
बदल सकती है हवा की दिशा
दूर काबुल में अनेक पँख फड़फड़ा रहें हैं
वे बगीचों से वापस घरों के भीतर कैद नहीं होना चाहते
वे स्वतंत्र से परतंत्र नहीं होना चाहते
उनकी फड़फड़ाहट से बढ़ रहा है धरा का तापमान
पिघल रहें हैं ग्लेशियर
समुद्रों में उठ रहा तूफ़ान
अश्रुओं से भीगी नम हवा
नहीं सोख पा रही वस्त्रों का पसीना
मैं चिंता , भय व आशंकाओं से तरबतर हूँ