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बटोहिया / मनोज कुमार ‘राही’

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भरल जवानी में,
पिया परदेश गइलै,
कटे नाहीं दिना रामा,
मोरा रे बटोहिया

पिछले बरीस मोर
भइलै गउनवाँ जे
देखौ लेॅ न पइलाँ भर जी,
पिया के सुरतिया
कटे नाहीं

सास, ससुर मोरा,
दिनरात ताना मारै,
देवरा के ठीक नाहीं
लागै नियतिया
कटे नाहीं

आसपड़ोस मोरा
नाहीं कोई संगतिया जै
केकरा से कहूँ रामा,
दुखवा के बतिया
कटे नाहीं दिना

करमां के फूटल,
हमहूँ छौं अभागिन,
बसे नाहीं पिया मन,
मोरी सुरतिया
कटे नाहीं दिना

जल बिनु जैसन,
तड़पे मछरिया जे,
चन्दा बिनु जैसन रात अंधरिया,
हमहूँ तरसों बिन,
पिया रे बटोहिया
कटे नाहीं दिना