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बड़ा कठिन है / केदारनाथ अग्रवाल
Kavita Kosh से
बड़ा कठिन है
सत्य का मुँह देख पाना
न्याय के लिए
असत्य को बेध पाना
संशयी मन
सत्य की आवाज नहीं सुनता
कान का परदा
न्याय के लिए नहीं खुलता
रचनाकाल: १५-०९-१९६५