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बड़ी- बी और अली मियाँ-5 / अनिरुद्ध उमट

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धुएँ में कंधा :

सपने में वह फ़ोन पर
बता रहा होगा
अपना अधूरा रह गया सपना

उसकी आवाज़
दराँती से मेरे सपनों को
काट रही होगी

जब मैं कहूँगा
कल आधी रात बाद
अपने रो पड़ने की बात

तब वह किसी विक्रम-सा
मुझे किसी वैताल-सा कंधे पर लादे
धुएँ में विलीन होता
दिखाई देगा।