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बड़ी भारी दुकान देखी / नरेश चंद्रकर
Kavita Kosh से
औसतन साठ किलोमीटर की गति से
धुँआधार दौ़अते वाहनों के बीच
ख़ुद को लगभग चूहे की तरह महसूसते हुए
सड़क पार करते मैंने समझा
क्यों ठिठक गया था पीछे
क्या था मेरे उस ज़रा-सा ठिठक कर आगे बढ़ जाने में
जब मैंने छोटी दुपहिया साइकिलों की
बड़ी भारी दुकान देखी!!