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बड़े जनत से पाली बारी बन्नी / बुन्देली
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♦ रचनाकार: अज्ञात
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बड़े जनत से पाली बारी बन्नी,
अब ना राखी जाय मोरे लाल
दूध पिलाए पलना झुलाए,
हो रही आज परायी मोरे लाल।
जब से बेटी भयी सयानी,
ब्याह रचन की ठानी मोरे लाल।
कन्यादान पिता ने कीन्हा,
डोली विदा कर दीन्हीं मोरे लाल।
अंगना में बेटी रुदन मचावें,
काहे भेजत परदेश मोरे लाल।
भैया भेज हम तुम्हें बुला लें,
बाबुल करत कलेष मोरे लाल।
रहियो जनम भर सुख में बेटी,
राखियो घर की लाज मोरे लाल।