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बडुली मां रैबार / बलबीर राणा 'अडिग'

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किले नि औन्दी मेरी याद
नि छिन क्वी खबर सार
हे बथ्वों कख बटि ल्याई
बडुली मां तों कु रैबार

ज्यू मेरु गंगा जनु छालु
भरी देख ल्यावा अँजुली मा
तीजे जन जून ह्वेग्या
टक आँखी अगास मा
कख हर्ची गैणु का भिभ्डाटक बीच
नि पच्छ्णदिन वा अन्वार
हे बथ्वों कख बटिन ल्याई......

औंदा जांदा बटोयी ब्वल्दिन
भट्कणु देखी ढूंगों का बोणु मां
आगास उड्दी पंछी ब्वनी
इकुली बैठियों मन्खियों का दग्ड मां
ऐजा बोडी ऐजा माया नि मिल्दी तों बाजार
हे बथ्वों कख बटिन ल्याई....

ब्याखुनी दां आग भभ्डांदी
सुवेर बासन्दु कवा म्वोर परी
जग्वाल मा जिन्दगी कट्येणी
आज-आज भोल-भोल करी
दिन नि बुड़ेंदु रात नि बियेंदी
हर घडी पल-पल तेरु ख्याल
हे बथ्वों कख बटिन ल्याई...

किले नि औन्दी मेरी याद
नि छिन क्वी खबर सार
हे बथ्वों कख बटि ल्याई
बडुली मां तों कु रैबार।