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बढ़ रही बग़ावत तो देखिए आप / सांवर दइया

Kavita Kosh से
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बढ़ रही बग़ावत तो देखिए आप।
हो रही क़यामत तो देखिए आप।

भोर तक जलने की ठान बैठा है,
दिए की शहादत तो देखिए आप।

हवेलियों के खिलाफ़ खड़े हुए हैं,
तिनकों की ताक़त तो देखिए आप।

अभेद्य दुर्ग ढहाने चल पड़ी है,
हवा की हिमाक़त तो देखिए आप।

अब फौलाद भी पिघल उठेगा यहां,
आग की अदावत तो देखिए आप।