भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बतळावण / ओम पुरोहित ‘कागद’
Kavita Kosh से
च्यारूं कूंट सरणाटो
सरणाटै सूं
सरणाटै री बतळावण
सुणै कुण?
सरणाटै रै आर सरणाटो
सरणाटै रै पार सरणाटो
थारै म्हारै बीच
त्यार सरणाटो!
आओ सीखां
भाषा
सरणाटै री!