भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बताऊँ तुम्हें क्या है दिल का लगाना / देवी नागरानी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ख़ता अब बनी है सजा का फ़साना
बताऊँ तुम्हें क्या है दिल का लगाना

हवा में न जाने ये कैसा नशा है
पिये बिन ही झूमे है सारा ज़माना

यहां रोज सजती है खुशियों की महफ़िल
मचलता है लब पर खुशी का तराना

सदा घूमते हैं सरे-आम खतरे
बहुत ही है दुश्वार खुद को बचाना

करें कैसे अपने-पराये की बातें
दिलों ने अगर दिल से रिश्ता न माना