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बताए, रास्ता आगे भी यूँ ही जारी है / के. पी. अनमोल

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बताए, रास्ता आगे भी यूँ ही जारी है
यही तो मील के पत्थर की ज़िम्मेदारी है

तुम्हारे साथ घड़ी भर को खेलकर बच्चो!
मेरे बदन ने दिनों की थकन उतारी है

मुझे ये डर है कहीं मेरी पलकें बोल न दें
तुम्हारे ख़्वाबों का बोझ अबके ज़्यादा भारी है

वो बात बात में याद आ रहा है आज मुझे
जिस एक शख़्स की हर बात मुझको प्यारी है

लगे हैं चाँद सितारे भी दाँव पर कब से
किसे ख़बर है कि ये रात इक जुआरी है

यक़ीन चाह के भी किस तरह करे कोई
वजूद आपका मुद्दत से इश्तेहारी है

वहाँ की फ़िक्र वहीं पर करे न क्यों 'अनमोल'
यहाँ थी जितनी लिखी, चैन से गुज़ारी है