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बदन को ज़ख़्म करें ख़ाक को लबादा करें / मंजूर 'हाशमी'
Kavita Kosh से
बदन को ज़ख़्म करें ख़ाक को लबादा करें
जुनूँ की भूली हुई रस्म का इआदा करें
तमाम अगले ज़मानों को ये इजाज़त है
हमारे अहद-ए-गुज़िश्ता से इस्तिफ़ादा करें
उन्हें अगर मेरी वहशत को आज़माना है
ज़मीं को सख़्त करें दश्त को कुशादा करें
चलो लहू भी चरागों की नज़र कर देंगे
ये शर्त है कि वो फिर रौशनी ज़्यादा करें
सुना है सच्ची हो नियत तो राह खुलती है
चलो सफ़र न करें कम से कम इरादा करें