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बदरंग / राजेश शर्मा 'बेक़दरा'
Kavita Kosh से
मैं बदरंग नहीं
सिर्फ बिछड़ा हुआ
रँग हूँ
तुम्हारी होली का
चलो
एक बार फिर
रँगों से खेले
होली
उम्मीदों से तो
खेल चुके