भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बदलाव / आभा पूर्वे
Kavita Kosh से
हिन्दी शब्दों के अर्थ उपलब्ध हैं। शब्द पर डबल क्लिक करें। अन्य शब्दों पर कार्य जारी है।
जस दिन पकड़ी थीं
तुमने मेरी कोमल नरम अंगुलियाँ
उसी दिन से भर गई हूँ मैं
एक कोमल अहसास से
और रिक्त ही नहीं हो पाती हूँ इससे
कि मेरी ये सारी अंगुलियाँ
चंदन के छोटे-छोटे बिरवे हो गयी हैं।