भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बदला जमाना (कविता का अंश) / चन्द्रकुंवर बर्त्वाल
Kavita Kosh से
बदला जमाना (कविता का अंश)
अब जमाना सभी तरह बदल गया है
नया सूरज हो गया, धरती नई है
वह पुराना चांद डूबा, नील नभ में
सितारों की पांत की सजधज नई है,
वे पुराने खेत छोटे झोंपडे़ तोड़ डाले गए, महल खड़े हुए
इस नये संसार में तू आह भर के खोजता ओ हृदय
खेाया हुआ क्या है
(बदला जमाना कविता से )