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बदला जो वक्त मेरा ज़माना बदल गया / रंजना वर्मा

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बदला जो वक्त मेरा ज़माना बदल गया
अपना ही नहीं जो था पराया बदल गया

दावत जो दे रहे थे बुलाते थे बार बार
पहुँचे जो घर तो जाना ठिकाना बदल गया

कहता था कि हर वक्त रहेगा वह मेरे साथ
आया जो बुरा वक्त वह रस्ता बदल गया

अब भी है वही जुर्म की जो दास्तान थी
हालाँकि कह रहे हैं वह पहरा बदल गया

वो ही है आसमान वही रात वही चाँद
किस्मत का मगर मेरी सितारा बदल गया

कुर्सी थी साथ जब तो सभी के अजीज़ थे
छूटा सभी का साथ जो ओहदा बदल गया

है साँवरे की जब से हुई दिल को आरजू
जीने का है तभी से तरीका बदल गया