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बदलैत गाम / नारायण झा

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बदलि रहल
गामक इतिहास आ भूगोल
गामक सिरखार
संस्कृतिक रेघा
निपा-पोता गेल
गाम आ लोकक अपन चाम
केचुआ सदृश
जानि क' सिसोहा रहल
गाम मे गाड़ल खाम
धँसि रहल, कोकनाय गेल
लगैत अछि
आब खसत, खसि पड़त
बदलि रहल गाम।

आचार-विचार-बेबहार, लाज-धाख
जे छल गस्सल
चिहुँटल छल सभ अंगना
सभ दलान आ छोट पैघ घर
आब ओ बिलाय गेल
ससरि गेल नीचा दिस।

पहिने चाहक दोकान बिरले
आब त
मुँहो भभकायल जाइछ गामे पर
झंझटिक लगैछ अखाड़ा
तुजकी झाड़ैछ बच्चा आ स्त्री पर
बदलि रहल गाम।

माँ, बाबूजी आ कक्का
चलि गेला फिल्म मे
ओकर लेलक स्थान
डैडी, मॉम, मम्मी
आ भनसिया स्त्री त नामे सँ
करमी साग, अल्हुआ
मकइ-मरुआक रोटी
बनि गेल पंचसितारा होटलक
महग व्यंजन
मौनी, पथिया, सूपक लेल
नहि अछि बचल बाँस।

गामक शुभ काजक
लैते नाम
टहंकार सँ अनघोल होइत
सभटा साझ-पराती बारहमासा
समदाउन, उदासी चलि गेल
समटि क' मशीन मे
आब लोकक कंठ मे
नहि अछि ई गीत-नाद
बदलि रहल गाम।

आबि गेल बोतल, पन्नी
भागि क' शहर सँ
पसरि क' बैसल अछि
ताल ठोकि लटपटबै अछि अपना दिस
भोगबइए जीवनक मौगति
बदलि रहल गाम।

आब बचल अछि एखनहुँ
ईर्ष्या-द्वेष
आ दोसरक टांग घीचब
जुन्ना डहि गेल
ऐंठन अछि बचले
फरल-फूलायल कलशक
मूड़ी खोंटब
संगहि जड़ि मे नून देब
फूसिक जाल बूनि
दोसर पर फेकब
बदलि रहल गाम।