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बनाया तुमने मुझे निशान / रामइकबाल सिंह 'राकेश'

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धनुष पर रख कर पैने बाण,
बनाया तुमने मुझे निशान।

पहनाए वसन्त ने आकार,
धरती को फूलों के शेखर,
बरसाए तुमने मुझ पर शर
खर अंगार समान।

मेरी ओर नयन-दर्पण कर,
मेरा उर-प्रतिविम्ब हरण कर,
खचित किया तुमने उसमें धर,
पर न सका मैं जान।

इतनी छोटी मेरी पुतली,
समा न पाती, तुमसे निकली-
छवि की जिसमें विभा सुनहली,
ज्योतिमयी मुसकान