भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बन्दर को भायी बिल्ली / दीनदयाल शर्मा
Kavita Kosh से
बिल्ली को देखा बन्दर ने
मन में उसके भायी
सोचा गर इससे हो जाए
झट से मेरी सगाई ।
बन्दर ने मम्मी-पापा से
उसकी बात चलाई
मेरी शादी कर दो उससे
बिल्ली मुझको भायी ।
बन्दर के मम्मी-पापा जब
पहुँचे बिल्ली के घर
बिल्ली पहले से ब्याही है
बोला उनका नौकर ।।