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बन्धुता ले बिराने मिले / शिव ओम अम्बर
Kavita Kosh से
बन्धुता ले बिराने मिले,
बेशकीमत ख़ज़ाने मिले।
गीत के इक अदद वक्ष में,
सौ ग़मों के ठिकाने मिले।
छद्म सन्तत्व ओढ़े यहाँ,
वंचकों के घराने मिले।
पृष्ठ दैनन्दिनी के पढ़े,
आज गुजद्यरे ज़माने मिले।
मित्रगण क्या मिले राह में,
स्वस्तिप्रद शामियाने मिले।