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बन्धे उपर नागन काली / रणवीर सिंह दहिया
Kavita Kosh से
बन्धे उपर नागन काली डटगी फण नै ठाकै।
सिर तै उपर कस्सी ठाई मारी हांगा लाकै।।
नागन थी जहरीली वा फौजी का वार बचागी
दे फुफकारा खड़ी हुई आंख्यां मैं अन्धेर मचागी
दो मिनट मैं खेल रचागी चोट कसूती खाकै।।
हिम्मत कोण्या हारया फौजी हटकै उसनै वार किया
कुचल दिया फण लाठी गेल्यां नाका अपणा त्यार किया
चला अपणा वार लिया काली नागन दूर बगाकै।।
रात अन्ध्ेरी गादड़ बोलैे जाड्डा पड़ै कसाई
सुर सुर करता पानी चालै घणी खुमारी छाई
डोले उपर कड़ लाई वो सोग्या मुंह नै बाकै।।
बिल के मां पानी चूग्या सूकी रैहगी क्यारी
बाबू का सांटा दिख्या या तबीयत होगी खारी
मेहरसिंह जिसा लिखारी रोया मां धेरे जाकै।।