राजस्थानी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
नहाय ले लाडा धोयले, ओ थारां पावल्यां मंे गंगा बहे।
जठे म्हारा बोपर वारो नहावसीं, ओ जठे सूरज जी राणा जी दे आवसी।
जठे रूपां देवी नहावसी, ओ जठे चन्द्र चन्द्राणी पधारसी।
जठे म्हारो बनड़ो नहावसी ओ जठे विनायक जी रिद्धि सिद्धि ल्यावसी।
जी देवता रे हाथ कचौलण, ओ बहू सासू वां कलश बंधावसी।