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बन्नी के दादा जी दे रहे दान के दादी रानी मना करै / हिन्दी लोकगीत

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

बन्नी के दादा जी दे रहे दान के दादी रानी मना करै
बन्नी के ताऊ जी दे रहे दान के ताई रानी मना करै
मत भेजो तिरीया नार के घर के बेटी दो दिन की
मार कांकरी उड़ जाये चिरैया मुंडेरों की
या तो बाधे वंही बध जाये के गैया खुटे की

बन्नी के पापा जी दे रहे दान के मम्मी रानी मना करै
बन्नी के चाचा जी दे रहे दान के चाची रानी मना करै
मत भेजो तिरीया नार के घर के बेटी दो दिन की
मार कांकरी उड़ जाये चिरैया मुंडेरों की
या तो बाधे वंही बध जाये के गैया खुटे की

बन्नी के मामा जी दे रहे दान के मामी रानी मना करै
बन्नी के फूफा जी दे रहे दान के बुआ रानी मना करै
मत भेजो तिरीया नार के घर के बेटी दो दिन की
मार कांकरी उड़ जाये चिरैया मुंडेरों की
या तो बाधे वंही बध जाये के गैया खुटे की