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बन, गिरि-उपबन जाइ, कबहुँ बहु-भाँतिन खेलहिं / शृंगार-लतिका / द्विज

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रोला
(संक्षेप रूप से नायिका-भेद-वर्णन)

बन, गिरि-उपबन जाइ, कबहुँ बहु-भाँतिन खेलहिं ।
कबहुँक हरि-सँग पाइ, मोहि आनँद-हिय-मेलहिं ॥
सखिन सुनाइ-सुनाइ कहैं, कहुँ यह सुख राधा ।
कबहुँक आपुस माँहि, सखी! कहि मैंटहिं बाधा ॥४०॥