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बन जाओ तुम मेरे सब कुछ जप-तप / हनुमानप्रसाद पोद्दार
Kavita Kosh से
बन जाओ तुम मेरे सब कुछ जप-तप, ध्यान, ज्ञान-विज्ञान।
बन जाओ तुम मेरे साधन-साध्य, यज-व्रत, संयम-दान॥
बन जाओ तुम मेरे शम-दम, श्रद्धा, समाधान, शुचि योग।
बन जाओ तुम मेरे मन-मति, अहंकार, इन्द्रिय, सब भोग॥
बन जाओ तुम मेरे प्राणोंके रहस्य, जीवनके मर्म।
बन जाओ तुम मेरे वस्त्राभूषण, खान-पान गृह-धर्म॥
स्पर्श तुम्हारा मिले सर्वदा सबमें, सभी ठौर अविराम।
मेरे तुम हो, मेरे तुम हो, सभी भाँति, हे प्राणाराम!॥