बन मन में
मन बन में
गए और खो गए
हम पतझड़ के-से
अब फागुन के हो गए
कुचले फन-सा तन-मन
बीन बजाता फागुन
द्वार बनेंगे झूले
ताल बनेंगे आंगन
सींच बीज वे जो
पिछले दिन थे बो गए
फागुन के हो गए
बन मन में
मन बन में
गए और खो गए
हम पतझड़ के-से
अब फागुन के हो गए
कुचले फन-सा तन-मन
बीन बजाता फागुन
द्वार बनेंगे झूले
ताल बनेंगे आंगन
सींच बीज वे जो
पिछले दिन थे बो गए
फागुन के हो गए