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बबुआ भइल अब सेयान कि गोदिये नू छोट हो गइल / मनोज भावुक
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बबुआ भइल अब सेयान कि गोदिये नू छोट हो गइल
माई के अंचरा पुरान, अंचरवे में खोट हो गइल
गुटु-गुटु गोदिया में दूध-भात खाइल
मउनी बनल अउरी भुइयाँ लोटाइल
नेहिया-दुलरवा के बतिया बेकारे
टूटल पिरितिया के डोर कि मन में कचोट हो गइल
'चुलबुल चिरइया' में बबुआ हेराइल
बोले कि बुढ़िया के मतिये मराइल
बाबा के नन्हकी पलनिया उजारे
उठल रुपइया के जोर जिनिगिये नू नोट हो गइल
भरल-पूरल घरवा में मन खाली-खाली
दियरी जरे पर मने ना दीवाली
रतिया त रतिया ई दिनवो अन्हारे
डूबल सुरूज भोरे- भोर करेजवे में चोट हो गइल