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बयान / नोमान शौक़
Kavita Kosh से
मैं देख रहा हूँ
बहुत दिनों से
क़ातिल का चमकता ख़न्जर
ख़न्जर से टपकती लहू की बूंद
और इस बूंद से
माथे पर तिलक करता इतिहास
धरती की कोख में
तेज़ाबी झरनों की तरह गिरती
हवस की धार
परभक्षियों का
शान्ति दूत की तरह
भव्य स्वागत किया जाना
में देख रहा हूँ
बहुत दिनों से
लुटेरों की तिजोरियों में पड़ा
बेशुमार धन
जिसका कोई ब्योरा नहीं
आयकर विभाग के पास
प्यार के नाम पर
प्यार के सिवा सब-कुछ करके
अथाह प्यार पाने वाले
पूरा साल नागपंचमी है
साँपों के लिए ।