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बरखा और बच्चे / मानस
Kavita Kosh से
बरखा और बच्चे
बरखा आई, बरखा आई
लगा बरसने पानी
मत रोको उन्हें
मत टोको उन्हें
कब कोई रोक पाया
बच्चों की रवानी
वे तो नहाएंगे
मस्त हो पानी में
बच्चे जो ना होते
तो क्या रहता
बरसात के पानी में
1993