भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बरखा और बच्चे / मानस

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

बरखा और बच्चे


बरखा आई, बरखा आई
लगा बरसने पानी

मत रोको उन्हें
मत टोको उन्हें
कब कोई रोक पाया
बच्चों की रवानी

वे तो नहाएंगे
मस्त हो पानी में
बच्चे जो ना होते
तो क्या रहता
बरसात के पानी में
1993