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बरसाती जन्तु / अन्योक्तिका / सुरेन्द्र झा ‘सुमन’
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बरसाती जन्तु -
घन उमड़ल नभ देखि, मुदित कलापी नृत्य-पटु
चातक चहक परेखि, लागल बेङो रटय कटु।।78।।